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Showing posts from August, 2018

ख़ुदी में डूब के पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी, तू मेरा नही बनता ना बन, अपना तो बन ...

Allah ki pehchan aur apni zaat ki pehchan me gehra taluq hai, khudi apni zaat ki pehchan ka nam hai. Jis shakhs ne apne ander k insan k o pehchan liya, goya us ne Allah ko pehchan lia. Jis ne apne nasf ko pehchan lia aur use maat de di to usne Allah ko hasil ker lia. Allah ki pehchan k e liye insan ko apne ander jhankna zaruri hai, isi tarha woh apne maqsad-e-takhleeq ko s ama jh sakta hai aur Allah ki marfat pa sakta hai. There are only two important moments in our lives one is when we are born and the next is when we know that why are we born. Think again... وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ نَسُوا۟ ٱللَّهَ فَأَنسَىٰهُمْ أَنفُسَهُمْ أُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْفَٰسِقُونَ और उन लोगों के जैसे न हो जाओ जो ख़ुदा को भुला बैठे तो ख़ुदा ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वह अपने आपको भूल गए यही लोग तो बद किरदार हैं । सूरा अल-हश्र (الحشْر), वर्सेज:   १९

भगवान सभी को मजबूर क्यों नहीं करता?

भगवान सभी को मजबूर क्यों नहीं करता? ज़मानों से चलता आ रहा तर्क: यदि भगवान सशक्त है, तो वो सभी लोगों को अपनी इच्छा पर चलने के लिए मजबूर क्यूँ नहीं करता ? यह मनुष्य को दी गई सीमित इच्छाशक्ति को अनदेखा कर ना है , जो की नैतिकता का पूरा आधार है। भगवान मनुष्य को चीजों को जानने और समझने का हर मौका देता है, लेकिन वह उसे मजबूर नहीं करता , क्योंकि यह पूरी योजना के खिलाफ होगा जिस पर हमारा वर्तमान जीवन गठित किया गया है। लोग अपने स्वयं के प्रतिबंध , बाधाओं और अंधविश्वासों को खड़ा करते हैं और उन्हें धर्म से जोड़ देते हैं। यह गलत है, और यह उन लोगों में अधिक है जो झूठे देवताओं की पूजा करते हैं। इस्लाम का संदेश स्पष्ट है जो सब चीजों को स्पष्ट करता है , उन के लिए जो समझ ना चाहते हैं, क्योंकि यह भगवान द्वारा बनाई गई हमारी प्रकृति के अनुरोध है; खुले तौर पर और हर किसी के लिए। भगवान की निशानियां प्रकृति में हर जगह मौजूद हैं और मनुष्यों के अपने दिल में भी , फिर भी भगवान ने मनुष्यों में मनुष्यों को अपना दूत बनाया , लोगों को अच्छाई की तरफ ब

Why God does not force all?

Why God does not force all? The age-old argument: if God is All-Powerful, why did He not force all persons to His Will? This ignores the limited freewill granted to man, which is the whole basis of Ethics. God gives man every opportunity of knowing and understanding things, but He does not force him, for that would be against the whole Plan on which our present life is constituted. Men erect their own taboos , prohibitions, barriers and restrictions and ascribe them to religion. This is wrong, and is more consistent to those who worship false gods. The Message of Islam is clear and unambiguous, the one that makes all things clear to those who try to understand, because it accords with our own nature as created by God; preached openly and to everyone. Even though God’s Signs are everywhere in Nature and in men's own conscience, yet in addition God has sent human Messengers to every People to call their attention to Good and turn them away from Evil. So, they

क्या हमें आजादी मिल गई .. ??

क्या हमें आजादी मिल गई .. ?? अभी आजादी मिली कहाँ, काम अभी बाकी है, दीन-ए-खिलफात का ऐहतराम अभी बाकी है.. क्या आप जानते हैं कि हमारे राट्रपिता महात्मा गांधी ने इस्लामिक खिलाफत की सराहना करते हुए क्या कहा था, "मैं आपको राम चन्द्र या कृष्ण का उदाहरण नहीं दे सकता, क्योंकि उनके बारे में ऐतिहासिक आंकड़े मौजूद नही हैं। मैं मजबूर हुँ लेकिन आपको अबू बकर (पहले खलीफा) और उमर (दूसरे खलीफा) के नाम ही पेश कर सकता हूं। वे विशाल साम्राज्य के नेता थे, फिर भी वे तपस्या का जीवन जीते थे। बापू ने एक बार ये भी कहा था कि "यदि भारत को उमर-इब्न-खतताब जैसा आदमी मिल जाता है तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।" (स्रोत: विकिपीडिया) यह पैगंबर मुहम्मद (शांति हो उन पर) द्वारा स्थापित, समानता, न्याय और शांति की एक प्रणाली थी और जिसके द्वारा उनके सही निर्देशित साथी (खुल्फा-ए-राशेदीन, अल्लाह उनसे खुश रहे) ने शासन किया और यह वह प्रणाली थी जिसके लिए अल्लामा इकबाल (वह व्यक्ति जिसने "सारे जहां से आच्छा हिंदुस्तान हमरा" लिखा था) ने खूबसूरती से पुकारा : - मेरी जिंदगी का मक्साद तेर

Have we got freedom..?

Have we got freedom..?? Abhi aazadi mili kahan,kaam abhi baaki hai, Deen – e – khilafat ka ehtram abhi baaki hai... Did you know that the father of our nation Mahatma Gandhi praised the system of Islamic khilafat by saying, “I cannot give you the reference of Ram Chandar or Krishna, because they were not historical figures. I cannot help it but to present to you the names of Abu Bakar (the first khalifa) and Umar (the second Khalifa). They were leaders of vast Empires, yet they lived a life of austerity.” He also once said that if India finds a man like Umar – ibn –khattab all the problems will be solved. (Source: Wikipedia) This was a system of equality, justice and peace, established by Prophet Muhammad (peace beupon him) and by which his rightly guided companions (khulfa –e –rasheedeen, may Allah be please with them) ruled and this was the system for which Allama Iqbal (the man who wrote “ saare jahan se achcha Hindustan hamara”) beautifully cried for:- Meri

A REMINDER FOR ALL

There is no Word Better than Word of Allah and no teaching is better than the teaching of Prophet (Peace be upon him). How Many of us understand the verse of Quran which we recite in our daily prayers. There are many things that we are confused about or don't know about Islam. TO HELP YOU BROTHERS AND SISTERS I AM CREATING A HIGH QUALITY ISLAMIC DIGITAL E COURSE WHICH WILL HELP YOU AND YOUR FAMILY IN GAINING ISLAMIC KNOWLEDGE. I'D LOVE GET YOUR INPUT,  WILL YOU ANSWER JUST 02 QUESTION BY CLICKING ON LINK BELOW AND YOU WILL BE ENTITLED FOR A FREE GIFT . click here

How a message can lead to Hellfire..?

How a message can lead to Hellfire..? How ignorance can lead to death? Nowadays it is a common practice to forward messages whether non-religious or religious for the sake of reward or helping other people. But it is causing more harm than benefit to the extent that in India, people are even getting killed because of forwarded fake news and religiously speaking it is so dangerous that it can not only lead to punishment in the grave but can rather prevent us from entering into Paradise. The Lawgiver Prophet Muhammad (peace and blessings of Allah be upon him) issued a stern warning against passing on false information. Narrated Hudhaifah (may Allah be pleased with him): I heard the Prophet (pbuh) saying, “A Qattat will not enter Paradise.” (Sahih Al-Bukhari, Vol.8, Hadith No.82). A Qattat is a person who conveys disagreeable, false information from one person to another with the intention of causing harm and enmity between them. It is also Narrated Ibn ‘Abbaas (rza

कैसे एक संदेश हमें जहन्नुम तक पहुँचा सकता है ?

कैसे एक संदेश हमें जहन्नुम तक पहुँचा सकता है ? कैसे अज्ञानता मौत का कारण बन सकती है? आजकल दूसरों की मदद के लिये मोबाइल पर संदेश भेजना एक आम प्रथा बन चुकी है चाहे धार्मिक हो या गैर-धार्मिक। लेकिन पुण्ये कमाने की नीयत से किये जाने वाले इस काम से इस क़दर नुक़सानात हो रहे हैं कि भारत में, नकली खबरों को आगे बढ़ाने के कारण लोग मारे जा रहे हैं, और मज़हबी लिहाज़ से यह इतना खतरनाक है कि इससे न केवल कब्र में सजा बल्कि हमें जहन्नुम तक रसीद हो सकती है। क़ानून कर्ता पैगंबर मुहम्मद (अल्लाह की शांति और आशीर्वाद हो उन पर) ने झूठी सूचनाओं को फैलाने वाले के खिलाफ एक कठोर चेतावनी जारी की है। हूजेफा (अल्लाह उन पर प्रसन्न हो) ने बताया की: मैंने पैगंबर (सा) को यह कहते हुए सुना, "एक क़ततात स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा।" (साहि अल बुखारी, खंड 8, हदीस नं 82)। क़ततात ऐसा व्यक्ति होता है जो एक व्यक्ति से दूसरे के बीच में असहनीय, झूठी सूचना फैलाता है उनको हानि पहुचने और शत्रुता बढ़ाने के इरादे से। इब्न अब्बास (रा) ने भी बताया है: अल्लाह के पैग़म्बर (सा) दो क़ब्रों के पास से गुज़रे और कहा, &q