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Showing posts from December, 2018

Who is a kafir? / काफिर कौन होता है?

Who is a kafir? / काफिर कौन होता है? इस धरती पर एक व्यक्ति का सबसे बड़ा दायित्व उसके माता-पिता के लिए है। लेकिन माता-पिता के दिल में बच्चों के लिए प्यार किसने जगाया ? किसने मां के अंदर अपने बच्चों को पोषित और पोषण करने की इच्छा और शक्ति डाली? किसने पिता के भीतर अपने बच्चों के कल्याण के लिए अपना सबकुछ निछावर करने का जुनून डाला? थोड़ा से ही विचार से यह स्पष्ट हो जाएगा की मनुष्य भगवान का ही सबसे बड़ा अभारी है। वही उसका निर्माता है, जो उसका पोषण करवाता है, साथ ही साथ उसका अकेला मालिक भी है। तो "कुफ्र" से अधिक विश्वासघात, कृतज्ञता, विद्रोह और राजद्रोह क्या हो सकता है? भगवान को अस्वीकार करने से ज्यादा अस्वीकृति क्या हो सकती है? - जिसने हमे हमारा अस्तित्व प्रदान किया? एक काफिर वह व्यक्ति है जो भगवान को अस्वीकार करता है लेकिन अरबी में शब्द "कफरा", "कुफ्र", "काफिर" और अन्य व्युत्पन्न रूपों का अर्थ भगवान के अस्तित्व में गलत विचार नही, बल्कि जानबूझकर कर उसे झुठलाना है। एक व्यक्ति जिसने अपने मन में सच्चाई को देख लिया हो, लेकिन वह जानबूझकर भ

How are we different from Angels.??/ हम फरिश्तों से अलग कैसे हैं.??

https://youtu.be/tLuB4IpnSk8 How are we different from Angels.??/ हम फरिश्तों से अलग कैसे हैं.?? हर कोई मानता है कि ईश्वर की इच्छा का पालन करना, प्रेम, करुणा, सच्चाई और अन्य अच्छे गुणों की हम सब को ज़रूरत है, तो फिर इन गुणों को हमारे अंदर प्रोग्राम क्यों नहीं किया गया और हमे शुरुआत से ही स्वर्ग में क्यों नहीं डाला गया? वैसे क़ुरान के मुताबिक हमारे माता-पिता आदम और हव्वा (शांति हो उन पर) को शुरुआत में वहीं रखा गया था लेकिन वे पहले ही मौके पर असफल साबित हुए और वैसे भी: यदि प्रोग्राम किया जये, तो यह कोई विशेष गुण नहीं; बल्कि उससे कुछ कम है। आप कभी भी गलती ना करने के लिए एक कंप्यूटर को प्रोग्राम कर सकते हैं, लेकिन इससे वह एक सच्चा कंप्यूटर नहीं बन जाएगा, न ही एक सीएटी स्कैनर में करुणा होती है, हालांकि वह बीमारों की मदद करने के लिए बनाया जाता है। उनके द्वारा ईश्वर की अवज्ञा करना सबसे गंभीर अपराध था, लेकिन ऐसा करने के बाद, भयानक हानि और खालीपन का ज्ञात होने के बाद, उस ग़लती से अपंग होने के बाद, फिर से ईश्वर का विश्वास प्राप्त करना एक बेहद मूल्यवान अनुभव था; भगवान की अस्वीकृति

How idol worship started..??/ मूर्ति पूजा कैसे शुरू हुई..??

How idol worship started..??/ मूर्ति पूजा कैसे शुरू हुई..?? अज्ञानता के दिनों में पैगंबर मुहम्मद (शांति हो उन पर) के आने से पहले अरबों द्वारा मूर्ति पूजा करना कोई नई बात नहीं थी, लेकिन यह सब बहुत पहले अल्लाह के पैगंबर नुह ( श ) के लोगों के समय से शुरू हुआ, इससे पहले दुनिया में कोई शिर्क या मूर्ति पूजा नहीं कर ता था। शुरुआत में केवल पांच मूर्तियां थीं और इन मूर्तियों को दिए गए नाम वास्तव में नूह ( श ) के लोगों में से कुछ नैक लोगों के नाम थे। जब इन लोगों की मृत्यु हो गई, तो शैतान ने इनके लोगों को बहकाया के क्यों ना इन लोगों की मूर्तियां बनाई जाएं और उन मूर्तियों को सभाओं के स्थानों में उनके स्मरण और पवित्रता के संकेत के रूप में र खा जाये। हालांकि तब , उनमें से कोई भी इन मूर्तियों की पूजा नहीं करता था। जब उनको बनाने वाली पीढ़ी की मृत्यु होने लगी तो इन मूर्तियों को लगाये जाने का उद्देश्य भी उनके साथ धीरे धीरे लुप्त होने लगा। फ़िर अगली पीढ़ी ने उनकी पूजा करना शुरू कर दिया और बाद की पीढ़ी ने देखा कि पिछली पीढ़ी ने क्या किया