कैसे एक संदेश हमें जहन्नुम तक पहुँचा सकता है
?
कैसे अज्ञानता मौत का कारण बन सकती है? आजकल दूसरों
की मदद के लिये मोबाइल पर संदेश भेजना एक आम प्रथा बन चुकी है चाहे धार्मिक हो या गैर-धार्मिक।
लेकिन पुण्ये कमाने की नीयत से किये जाने वाले
इस काम से इस क़दर नुक़सानात हो रहे हैं कि भारत में, नकली खबरों को आगे बढ़ाने के कारण
लोग मारे जा रहे हैं, और मज़हबी लिहाज़ से यह इतना खतरनाक है कि इससे न केवल कब्र में
सजा बल्कि हमें जहन्नुम तक रसीद हो सकती है।
क़ानून कर्ता पैगंबर मुहम्मद (अल्लाह की शांति
और आशीर्वाद हो उन पर) ने झूठी सूचनाओं को फैलाने वाले के खिलाफ एक कठोर चेतावनी जारी
की है।
हूजेफा (अल्लाह उन पर प्रसन्न हो) ने बताया की:
मैंने पैगंबर (सा) को यह कहते हुए सुना, "एक क़ततात स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा।"
(साहि अल बुखारी, खंड 8, हदीस नं 82)। क़ततात ऐसा व्यक्ति होता है जो एक व्यक्ति से
दूसरे के बीच में असहनीय, झूठी सूचना फैलाता है उनको हानि पहुचने और शत्रुता बढ़ाने
के इरादे से।
इब्न अब्बास (रा) ने भी बताया है: अल्लाह के पैग़म्बर
(सा) दो क़ब्रों के पास से गुज़रे और कहा, "इन दोनों (कब्र के व्यक्तियों) पर अत्याचार
किया जा रहा है, और उन्हें किसी बड़े पाप के लिए यातना नहीं दी जा रही है। एक अपने
मूत्र की अपवित्रता से खुद को बचाने मे लापरवाही बरतता था और दूसरा लोगों के बीच शत्रुता
पैदा करता फिरता था, उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति किसी के पास जाए और उसे बताये कि उसके
बारे में वो ऐसी बुरी चीजें ओर ऐसा कहता है। "(साही अल बुखारी, खंड 8, हदीस नं
78)।
तहक़ीक़ किए बिना किसी भी जानकारी को आगे बढ़ना सही
नहीं है।
यह बताया गया है कि हफ्स इब्न 'असीम ने कहा: अल्लाह
के नबी (सा) ने कहा: "एक आदमी के लिए इतना झूठ काफी है कि वो जो कुछ भी सुनता
है, उसे आगे बता देता है।" (अल मुकाद्दीमा में मुस्लिम द्वारा वर्णित, 6; साही
अल- जामी, 4482)।
यह अबू हुरेरा से भी साबित है कि पैगंबर (सा)
ने कहा: "मनुष्य के लिए इतना पाप काफी है के वो जो कुछ भी सुनता है, उसके बारे
में बात करता है।" (अल-सिल्सीलाह अल-साही, 2025)।
इसलिए, बेहतर है कि हम सुर्कशीत रहें और अगर हमारे
पास जांचने का समय नही है तो किसी भी समाचार को आगे नहीं बढ़ाएं और इस मामले बहुत ऐतियात
बरतें इससे पहले के हमारे पास वक़्त ना बचे के
"ए ईमान वालों ! यदि एक फासीक (झूठा - बुरा
व्यक्ति) किसी भी समाचार के साथ आपके पास आता है, तो इसे सत्यापित करें, ताकि आप लोगों
को अज्ञानता से नुकसान ना पहुंचाए, और बाद में आप जो कुछ भी कर चुके हैं उसके लिए आपको
खेद हो। [अल कुरान सूरा हुजुरात 49: 6]
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