कुरान को कैसे समझें?
कुरान की सही सराहना करने के लिए उसे ले कर पूरी तरह से लोगों को भगवान की तरफ बुलाए जाने के कार्य को लॉन्च करना पड़ेगा, हर चरण में उसे अपना गाइड बना कर। उसके बाद ही कोई उसके प्रकाशन के समय सामने आए विभिन्न अनुभवों को महसूस कर सकता है, उसकी प्रारंभिक अस्वीकृति का अनुभव करता है, जैसा कि मक्का शहर के लोगों द्वारा किया गया था। अबू जहल और अबू लाहब ( जैसे दुश्मन) और अबू बकर और हमज़ा ( जैसे दोस्तों) का आमना सामना कर सकता है।
एक आदमी न तो क़ुरान के कानूनों, न ही नैतिक शिक्षाओं, और आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांतों को समझ सकता है, जब तक कि वह उन्हें अपने जीवन में लागू करने की कोशिश न करे। इसलिए, जो व्यक्ति इस पुस्तक को व्यक्तिगत अभ्यास में लागू करने में विफल रहता है, वह इसे समझने में भी असफल होता है।
आज कोई भी अन्य धार्मिक ग्रंथ नहीं है, कुरान को छोड़कर जिसमें समाज में शासन की व्यवस्था हो, यह एकमात्र दिव्य पुस्तक है जो व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सामाजिक शासन का एक आदर्श कोड प्रदान करती है।
केवल कुरान में मानवता की समस्याओं का समाधान है। इस पुस्तक ने मानव जाति के इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति की शुरुआत की। एक व्यक्ति द्वारा एक संदेश के प्रचार के साथ शुरुआत हुई और मात्र 23 वर्षों की छोटी सी अवधि के भीतर पृथ्वी (अरब) पर अल्लाह की हुकूमत स्थापित हो गई जैसी के आसमानों में है।
पहले के पैगम्बरों द्वारा दिखाए गए चमत्कारों में से आज कुछ भी बाकी नही है। मूसा की वो छड़ी (शांति हो उन पर) जो एक सांप में बदल गई थी अब मौजूद नही है। ईसा (जीसस शांति हो उन पर) के चमत्कार जो बहरे और अंधे पैदा हुए लोगों को ठीक कर देते थे, आज हमारे द्वारा देखे नही जा सकते। लेकिन, कुरान - पैगंबर मुहम्मद (शांति हो उन पर) का चमत्कार अभी भी बहुत अधिक मौजूद और जिंदा है। यह एक सबूत है - अचूक सबूत - अचूक साक्ष्य है, कि वह भगवान के सच्चे दूत थे।
प्यार, शांति और सुरक्षा का वह झरना - सामाजिक और आर्थिक न्याय की व्यवस्था जिसकी हमें आज बेहद जरूरत है, केवल भगवान के नियमों के साथ ही हासिल हो सकती है, वही है जो विधायक है, वही कानून बनाता है और हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत। मीडिया इस्लाम के बारे में मिस-सूचना की बमबारी कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में कुरान की सही तस्वीर पेश करना हर सच्चे मुस्लिम का अनिवार्य कर्तव्य है के दुनिया को दिखाया जा सके कि इसमें मानवता के लिए भगवान का मार्गदर्शन और दया है - हर समय के लिए।
हम पिछले 200 से 300 वर्षों से अंधेरों में भटक रहे हैं, हम इंसानों के बनाये सिस्टमों के बुरे प्रभावों को देख रहे हैं। सांप्रदायिकता पहले ही विफल हो चुकी है और पूंजीवाद पतन के कगार पर है। क्या यह भगवान की व्यवस्था की ओर मुड़ने के लिए उच्च समय नहीं है - जिसने हमें और हमारे जीवन को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए ?
ज़रा फिर से विचार करें...
बेशक, अल्लाह की तरफ से एक रोशनी और एक पुस्तक (कुरान) आपके पास आ गई है। जिससे अल्लाह उन सभी को मार्गदर्शन देता है जो उसकी ख़ुशनूदी हासिल करना चाहते हैं अमन और सलामती की तरफ, और उन्हें अपनी इच्छा से अंधेरों से बाहर लाता हैं रोशनी की तरफ अपनी मर्ज़ी से और उनका मार्गदर्शन करता है सीधे पथ (इस्लाम) की ओर। (अल-कुरान 5:15-16)
कुरान की सही सराहना करने के लिए उसे ले कर पूरी तरह से लोगों को भगवान की तरफ बुलाए जाने के कार्य को लॉन्च करना पड़ेगा, हर चरण में उसे अपना गाइड बना कर। उसके बाद ही कोई उसके प्रकाशन के समय सामने आए विभिन्न अनुभवों को महसूस कर सकता है, उसकी प्रारंभिक अस्वीकृति का अनुभव करता है, जैसा कि मक्का शहर के लोगों द्वारा किया गया था। अबू जहल और अबू लाहब ( जैसे दुश्मन) और अबू बकर और हमज़ा ( जैसे दोस्तों) का आमना सामना कर सकता है।
एक आदमी न तो क़ुरान के कानूनों, न ही नैतिक शिक्षाओं, और आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांतों को समझ सकता है, जब तक कि वह उन्हें अपने जीवन में लागू करने की कोशिश न करे। इसलिए, जो व्यक्ति इस पुस्तक को व्यक्तिगत अभ्यास में लागू करने में विफल रहता है, वह इसे समझने में भी असफल होता है।
आज कोई भी अन्य धार्मिक ग्रंथ नहीं है, कुरान को छोड़कर जिसमें समाज में शासन की व्यवस्था हो, यह एकमात्र दिव्य पुस्तक है जो व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सामाजिक शासन का एक आदर्श कोड प्रदान करती है।
केवल कुरान में मानवता की समस्याओं का समाधान है। इस पुस्तक ने मानव जाति के इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति की शुरुआत की। एक व्यक्ति द्वारा एक संदेश के प्रचार के साथ शुरुआत हुई और मात्र 23 वर्षों की छोटी सी अवधि के भीतर पृथ्वी (अरब) पर अल्लाह की हुकूमत स्थापित हो गई जैसी के आसमानों में है।
पहले के पैगम्बरों द्वारा दिखाए गए चमत्कारों में से आज कुछ भी बाकी नही है। मूसा की वो छड़ी (शांति हो उन पर) जो एक सांप में बदल गई थी अब मौजूद नही है। ईसा (जीसस शांति हो उन पर) के चमत्कार जो बहरे और अंधे पैदा हुए लोगों को ठीक कर देते थे, आज हमारे द्वारा देखे नही जा सकते। लेकिन, कुरान - पैगंबर मुहम्मद (शांति हो उन पर) का चमत्कार अभी भी बहुत अधिक मौजूद और जिंदा है। यह एक सबूत है - अचूक सबूत - अचूक साक्ष्य है, कि वह भगवान के सच्चे दूत थे।
प्यार, शांति और सुरक्षा का वह झरना - सामाजिक और आर्थिक न्याय की व्यवस्था जिसकी हमें आज बेहद जरूरत है, केवल भगवान के नियमों के साथ ही हासिल हो सकती है, वही है जो विधायक है, वही कानून बनाता है और हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत। मीडिया इस्लाम के बारे में मिस-सूचना की बमबारी कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में कुरान की सही तस्वीर पेश करना हर सच्चे मुस्लिम का अनिवार्य कर्तव्य है के दुनिया को दिखाया जा सके कि इसमें मानवता के लिए भगवान का मार्गदर्शन और दया है - हर समय के लिए।
हम पिछले 200 से 300 वर्षों से अंधेरों में भटक रहे हैं, हम इंसानों के बनाये सिस्टमों के बुरे प्रभावों को देख रहे हैं। सांप्रदायिकता पहले ही विफल हो चुकी है और पूंजीवाद पतन के कगार पर है। क्या यह भगवान की व्यवस्था की ओर मुड़ने के लिए उच्च समय नहीं है - जिसने हमें और हमारे जीवन को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए ?
ज़रा फिर से विचार करें...
बेशक, अल्लाह की तरफ से एक रोशनी और एक पुस्तक (कुरान) आपके पास आ गई है। जिससे अल्लाह उन सभी को मार्गदर्शन देता है जो उसकी ख़ुशनूदी हासिल करना चाहते हैं अमन और सलामती की तरफ, और उन्हें अपनी इच्छा से अंधेरों से बाहर लाता हैं रोशनी की तरफ अपनी मर्ज़ी से और उनका मार्गदर्शन करता है सीधे पथ (इस्लाम) की ओर। (अल-कुरान 5:15-16)
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