मैं अपने एक आँख वाली माँ से नफ़रत करता हू
मेरी
माँ की सिर्फ एक आंख थी !
इस
वजह से मै उन से नफ़रत करता था!
मै इस से बहुत
शर्मिंदा होता था ! वो
खाना बनाती, बच्चो
और टीचर के लिए जिससे हमारा
घर चलता था !
एक
बार की बात है जब मैं छट्ठी
क्लास मैं हुआ करता था तो मेरी
माँ मुझे मेरी माँ मुझसे मिलने
के लिए आइ!
मैं
उस वक्त बहुत शेर्मिन्दगी
हुआ! वो
मेरे साथ ऐसे कैसे कर सकती थी!
मैंने
उससे किनारा करना चाहा ओर
उन्हें नफ़रत की नज़रों से देखकर
मैं बाहर चला गया! उसके
अगले दिन स्कूल मै मेरे एक
साथी ने मुझसे कहा ''ऐ''
तुम्हारी माँ
के पास सिर्फ एक आंख है!
मैं
शर्म से पानी पानी हो गया !मैं
चाहता था कि मेरी माँ कही गायब
हो जाए!
मैं
उनसे अगले दिन भिड़ा और कहा कि
क्या तुम मुझे हँसी का पुतला
बनाना चाहती हो!
तुम
मर क्यों नहीं जाती! मेरी
माँ ने मुझे कोई जवाब नहीं
दिया! इसे
बोलने से पहले मैंने एक मिनट
भी नहीं सोचा की उसको कैसा
लगेगा क्योकि मैं बहुत गुस्से
मैं था! मैं
बेखबर था अपने अहसास के आगे
!
मैंने
बहुत मेहनत से पढाई की और और
मुझे सिंगापोर जाने का मोका
मिला!उसके
बाद मेरी शादी हो गई! मेरा
अपना घर था!
मेरे
पास मेरे अपने बच्चे थे!मे
अपनी जिंदगी से बहुत खुश था!
एक
दिन मेरी माँ मेरे साथ रहने
को आई!
उन्होंने
मुझे बहुत सालो के बाद देखा
था और मेरे बच्चो से कभी नहीं
मिली थी!
जब
वो दरवाजे पर आई तो मेरे बच्चे
उस पर हस पढ़े! मैं
उस पर चिल्लाने लगा और कहा कि
तुन्हारी हिम्मत कैसे हुई
मेरे बच्चो को डराने की!
चली जाओ यहा
से अभी के अभी!
यह
सुनने के बाद मेरी माँ ने बहुत
आराम से कहा की "बेटा
मुझे माफ कर दो””!”
ये
शायद गलत पता है और फिर वो वहा
से चली गई!
एक
दिन मेरे घर पर चिट्ठी आइ जो
मेरे स्कूल से थी!
मैंने
अपने पत्नी से झूठ बोला की मैं
एक ज़रूरी काम से जा रहा हू!
स्कूल
रीयूनियन के बाद मैं एक आदमी
से मिला !
उसने
कहा की यहाँ एक बुडिया रहती
थी अब वो मर चुकी है ! वो
मेरी माँ थी , लेकिन
मेरी आख से एक भी आसू भी नहीं
गिरा!
उन्होंने
मुझे एक चिठ्ठी दी वो चाहती
थी कि मैं उसको पढू!
मैंने
पड़ना शुरू किया .....
"मेरे
प्यारे बच्चे मैं हर वक्त
तुम्हारे बारे मै ही सोचती
रहती थी!
मुझे
माफ़ कर दो कि मैं सिंगापोर आई
और तुम्हारे बच्चो को डरा
दिया!
मैं
बहुत खुश थी जब मैंने सुना कि
तुम अपने स्कूल की रीयूनियन
मै आ रहे हो !
मै
बिस्तर से नहीं उठ पा रही थी
लेकिन एक बार तुम्हे देखना
चाहती थी !
मुझे
माफ कर दो ! मैं
बहुत शर्मिंदा हू !
तुम्हे
याद होगा, जब
तुम छोटे थे तो तुम्हारा
एक्सीडेंट हो गया और तुमने
अपनी एक आख खो दी थी !
माँ
होने के नाते मैं सोच नहीं
सकती थी कि तुम एक आख के सहारे
बड़े हो !
तो
मैंने तुम्हे अपने एक आंख दे
दी!
मैं
बहुत खुश थी की मेरा बेटा मेरी
जगह दुनिया को देखेगा !
मेरा
प्यार हमेशा तुम्हारे साथ
रहेगा
तुम्हारी
माँ .........
Authored and translated by Rabia Khan..
Original story My one eyed mother
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