Why does Allah permit
it..?/ भगवान इसकी अनुमति क्यों देता है..?
Nothing can exist
without the permission of Allah, nor can anything happen without His Will. If
He wants, He can force all people to faith but this will not reflect the choice of free will
on which our this very life is constituted.
The people who
indulge in false worship say: “Why does Allah permits it if everything is under
His control?” The answer is: a certain latitude is allowed with the grant of limited
form of free will.
When this respite is
over the Judgement comes and the punishment is sure, then there will be no
time to reflect, repent or
Think again...
Or have they
partners with Allah (false gods) who have instituted for them a religion which
Allah has not ordained? And had it not been for a decisive Word, the matter
would have been judged between them. And verily, for the wrong-doers there is a
painful torment. (Al-Qur’an Ch.42 Ver.21)
भगवान इसकी अनुमति क्यों देता है ..?
भगवान की अनुमति के बिना कुछ भी नहीं हो सकता है,
और न ही उसकी इच्छा के बिना कुछ होता है।
अगर वह चाहता, तो वह सभी लोगों
को उसपर विश्वास करने के लिए मजबूर कर सकता था, लेकिन
फिर यह हमारी अपनी इच्छा शक्ति को नहीं
दर्शाता, जिस पर हमारे इस जीवन का गठन हुआ है।
झूठी
उपासना करने वाले लोग कहते हैं: "अगर
सब कुछ उनके नियंत्रण में है तो वह इसकी अनुमति क्यों देता है? "इसका उत्तर है: एक निश्चित
अक्षांश को सीमित रूप में स्वतंत्र इच्छा के अनुदान के साथ
अनुमति दी जाती है।
जब
यह राहत खत्म हो जाएगी तो निर्णय
आ जाएगा और फिर सज़ा
निश्चित है, फिर समय नही मिलेगा के हम विचार,
पश्चाताप करें या
फिर
सोचें ..
(क्या
उन्हें समझ नहीं) या उनके कुछ ऐसे (ठहराए हुए) साझीदार है, जिन्होंन उनके लिए कोई ऐसा
धर्म निर्धारित कर दिया है जिसकी अनुज्ञा अल्लाह ने नहीं दी? यदि फ़ैसले की बात निश्चित
न हो गई होती तो उनके बीच फ़ैसला हो चुका होता। निश्चय ही ज़ालिमों के लिए दुखद यातना
है। (अल-कुरआन
सूरा 42 आयात 21)
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