समय को कैसे जीता
जाए.?
इतिहास गवह है कि
बुराई का अंत बुरा ही होता है और समय हमेशा उन लोगो के साथ होता है जो स्वच्छ और
शुद्ध जीवन के पक्ष में रहते हैं और जो जानते हैं धैर्य और दृढ़ता से इनतीज़ार
करना और भगवान और उसके पैगमबरों पर भरोस रखना।
सदियों से वकत गवाह
है कि सत्य, अच्छे कर्म और शिक्षाओं को छोड़कर कुछ भी बाकी नहीं रहता। यदि इनसान
इस जीवन को बर्बाद या इसका दुरुपयोग करेगा, तो समय के खिलाफ वह नुकसान में है।
कुरान में अल्लाह
की आयात के रूप में समय के संबंध से अल्लाह ने एक कसम खाई है, समय: जिसके बारे में
हर कोई कुछ जानता है लेकिन जिसका कोई भी सही महत्व पूरी तरह नहीं समझा सकता ।
यदि जीवन को
व्यापार करने का ऐक सौदा माना जाए, तो केवल भौतिक सम्पत्ति या उसका लाभ उठाने से
मनुष्य हार जाएगा। जब वह अपना खाता बनाएगा, तो यह नुकसान दिखाएगा। यह लाभ केवल जब
दिखाएगा जब वह ईश्वर और उसके पैगमबरों के हुकमों का पालन करे और एक अच्छा जीवन
जीए, और सत्य और दृढ़ता के मार्ग पर अन्य लोगों को निर्देशित और प्रोत्साहित करके
समाज में योगदान देता रहे।
अगर वह केवल अपने
लिए जीता है तो वह अपना पूरा कर्तव्य नहीं नीभाता। जो भी उस के पास अच्छा है,
विशेष रूप से नैतिक और आध्यात्मिक जीवन में, उसे दूसरों के बीच फैलना चाहिए, ताकि
लोग सत्य को देख सकें और बाहरी जीवन के सभी तूफानों और तनाव में, धीरज और दृढ़ता
से खड़े रहें। फिर वे सब शांति प्राप्त कर लेंगे।
विश्वास उसका कवच
है, जो भौतिक संसार के घावों से दूर करता है, और उसका धार्मिक जीवन उसकी
आध्यात्मिक प्रगति के प्रति सकारात्मक योगदान है।
अगर हम केवल समय के
खिलाफ दौड़ लगते हैं, तो हम हार जाएंगे क्योंकि समय हर चीज़ खोज रहा है और नष्ट कर
रहा है - वह हमारा आध्यात्मिक (रुहानी) हिस्सा है जो समय पर विजय प्राप्त करता है।
ज़रा फिर से विचार
करें...
कसम है समय की,
वास्तव में इनसान नुकसान में है, सिवाय उनके जो इमान लाए (इसलाम पर) और नैक कर्म
किए, और सत्य की तरफ एक-दूसरे को बुलाया, एक दूसरे की सबर के लिए अनुशंसा करते रहे
। अल-कुरान सूरा 103 अयत 1-3
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