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Showing posts from October, 2018

ये चुनने की स्वतंत्रता क्यों ?/Why this freedom of Choice ?

ये चुनने की स्वतंत्रता क्यों ?/ Why this freedom of Choice ? अगर भगवान की योजना इंसान को सीमित स्वतंत्रता या इच्छा शक्ति प्रदान करने की नहीं होती , तो वह हमे काफी अलग बना सकता था, या हमे स्थायी जीवों में बदल सकता था, शारीरिक रूप से , जैसा पेड़ों के साथ मामला है , या नैतिक और आध्यात्मिक गुणों में , लेकिन तब हमारी प्रगति या गिरावट की कोई भी संभावना नहीं रहती । तब इंसान उस ऊंचाई तक पहुंचने में असमर्थ होता जो अब उसके लिए खु ली है, या यदि वो कोई गलती करता है, तो पश्चाताप और दया के द्वार से लौट कर फिर से अपनी प्रगति का मार्ग पा सकता है। असल उदेशय उसकी मौलिक शुद्धता और निर्दोषता को बहाल करना है जिसमें उसे बनाया गया है । सीमित इच्छा शक्ति की वजह से आई बुराई को शिक्षा और शुद्धिकरण से समाप्त करना है क्यूंकि इस इच्छा शक्ति और उद्देश्यों को शुद्ध करने के बाद , वह किसी भी प्राणी के मुकाबले ज्यादा अधिक ऊंचाई तक पहुँच सकता है। मनुष्य को ये सभी विशेष अधिकार देने में अल्लाह की रहमत है, और मनुष्य को इन अधिकारों के साथ आने

ब्रह्मांड में सबसे बुरा अपराध कौन सा है /Which is the worst crime in creation..??

ब्रह्मांड में सबसे बुरा अपराध कौन सा है /Which is the worst crime in creation..?? कभी भी मानव जाति के इतिहास में बेशर्मी को इस हद तक नही सराया गया होगा की  सबके सामने ज़ीना (अवैध सेक्स) करने वाले लोगों को गुनेहगार कहने के बजाए स्टार कहा जाता हो - पोर्नस्टार । हम इस क़दर अनैतिक समय में रह रहे हैं कि अब ज़ीना भी अपराध नहीं है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि अब शादीशुदा लोगों का अवैध सेक्स करना तलाक का कारण हो सकता है लेकिन अब ये अपराध नहीं माना जायेगा। एक तरह से अदालत ने लोगों को विवाह में रहने के बावजूद लाइसेंस दिया है, के वो दूसरों के साथ गैरकानूनी संबंध बना सकतें हैं (इंडियन एक्सप्रेस न्यूज, 27 सितंबर, 2018)। हमजिन्सी (होमोसेक्सयूएलिटी) जो आज से केवल बीस या तीस साल पहले, लगभग दुनिया के सभी देशों में एक अपराध था, अब भारत में भी अपराध नहीं है और हमें चिंता होनी चाहिए कि कहीं शीघ्र ही उच्य न्यालय यह ना तय कर दे कि इन्सेस्ट (माता-पिता, बच्चे, भाई, पोते और अन्य करीबी परिवार के सदस्यों के साथ संभोग), में भी कुछ गलत नहीं है, क्योंकि यह भी अपराध नहीं है उन वि

Worship God not His creation.! / भगवान की पूजा करो, उसकी रचना की नही..!

Worship God not His creation.! / भगवान की पूजा करो , उसकी रचना की नही ..! Night and Day are opposites, and yet, they both subserve the purpose of human good, because the night gives us rest while during the day we promote activity. The sun and the moon are similarly complementary.  They are but instruments: God is the Cause, worship God, and not the things which He has created. Use the things which He has created, but do not worship them.  They are but Signs pointing towards Him. Think again… And from among His Signs are the night and the day and the sun and the moon. Prostrate not to the sun nor to the moon, but prostrate yourself to Allah Who created them, if it is Him you (really) worship. (Al-Qur’aan Sura. 41 Ayat. 37) भगवान की पूजा करो , उसकी रचना की नहीं ..! रात और दिन एक दूसरे के विरोधी हैं पर फिर भी वे दोनों इंसान की खिदमत में लगे हैं, क्योंकि दिन हमें हमारी गतिविधि करने में सहयता देता है और रात के दौरान