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Showing posts from July, 2018

How to conquer Time?

How to conquer Time? All history shows that Evil came to an evil end and time is always in favour of those live clean and pure lives and know how to wait in patience and constancy having faith in God and His messengers. Time through the ages bear witness that nothing remains except Good deeds and teachings of Truth. If he is going to waste or misuse life, Man against time is in loss. In the Qurán an appeal is made with respect to Time as one of the creations of Allah, of which everyone knows something but of which no one can fully explain the exact significance. If life is considered to be a business bargain, Man by merely accumulating material wealth or gains, will lose. When he makes up his account, it will show a loss. It will only show a profit if he obeys God and follow His messengers, leads a good life, and contributes to society by directing and encouraging other people on the path of Truth and constancy. If he lived only for himself, he would not fulfil

समय को कैसे जीता जाए.?

समय को कैसे जीता जाए.? इतिहास गवह है कि बुराई का अंत बुरा ही होता है और समय हमेशा उन लोगो के साथ होता है जो स्वच्छ और शुद्ध जीवन के पक्ष में रहते हैं और जो जानते हैं धैर्य और दृढ़ता से इनतीज़ार करना और भगवान और उसके पैगमबरों पर भरोस रखना। सदियों से वकत गवाह है कि सत्य, अच्छे कर्म और शिक्षाओं को छोड़कर कुछ भी बाकी नहीं रहता। यदि इनसान इस जीवन को बर्बाद या इसका दुरुपयोग करेगा, तो समय के खिलाफ वह नुकसान में है। कुरान में अल्लाह की आयात के रूप में समय के संबंध से अल्लाह ने एक कसम खाई है, समय: जिसके बारे में हर कोई कुछ जानता है लेकिन जिसका कोई भी सही महत्व पूरी तरह नहीं समझा   सकता । यदि जीवन को व्यापार करने का ऐक सौदा माना जाए, तो केवल भौतिक सम्पत्ति या उसका लाभ उठाने से मनुष्य हार जाएगा। जब वह अपना खाता बनाएगा, तो यह नुकसान दिखाएगा। यह लाभ केवल जब दिखाएगा जब वह ईश्वर और उसके पैगमबरों के हुकमों का पालन करे और एक अच्छा जीवन जीए, और सत्य और दृढ़ता के मार्ग पर अन्य लोगों को निर्देशित और प्रोत्साहित करके समाज में योगदान देता रहे। अगर वह केवल अपने लिए जीता है तो वह अपना प

एक मूर्ति के पीछे क्या है?

एक मूर्ति के पीछे क्या है? एक मूर्ति केवल कल्पना का एक चित्र है और इसकी पूजा करने का कोई उचित आधार नहीं है। इसकी पूजा फलहीन है और यह पितृ रिवाजों या विचारहीनता या झूठे वातावरण या सीमित दृष्टिकोण पर आधारित है। सभी मूर्तियाँ और कल्पित देवता जैसे धन, स्थिति, शक्ति, विज्ञान, स्वार्थी इच्छाएं, जिनकी पूजा एक और एकमात्र सच्चे भगवान के अलावा की जाती है, वे केवल भ्रम हैं। वे निश्चित रूप से वह चीजें हैं जिनके बारे में हमें कोई ज्ञान नहीं है; मूर्तियां निर्जीव चीजें हैं और कल्पित देवता हमारी कल्पना के अलावा कुछ भी नहीं है। अगर हम इन अप्रभावी चीजों के पीछे दौड़ते हैं, तो हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य खो जाएगा। हम सोचते हैं कि शायद संत, धन, शक्ति, विज्ञान या हमारी स्वार्थी इच्छाओं की पूर्ति हमें अपने अस्तित्व के उद्देश्य के करीब ले जाएगी, लेकिन हम पूरी तरह से गलत रास्ते पर हैं। हम में से अधिकांश लोग नास्तिक नहीं हैं (जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करते हैं) या संदेहवादी, बल्कि हम भगवान के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं, लेकिन केवल एक अमूर्त प्रस्ताव के रूप में, हमारे दिल या आत्माओं म

What lies behind an Idol..?

What lies behind an idol? An idol is only a figment of imagination and there is no reasonable basis to worship it. Its worship is fruitless and is based on account of ancestral customs or thoughtlessness or on false environment or limited outlook. All the idols and fictitious gods like – wealth, position, power, science, selfish desires and so on, which are worshiped besides the One and Only True God are mere delusions. They are certainly things of which we have no knowledge; idols being lifeless things and fictitious gods being nothing but the figments of our own imagination. If we run after these ineffective things, the main purpose of our lives will be lost. We may pretend that saints, wealth, power, science or fulfilment of our selfish desires may take us nearer to our self-development – nearer to the purpose of our existence, but we are altogether on a wrong track. Most of us are not atheists (who deny the existence of God) or sceptics rather we admit the exis